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"अगली दावत की प्रतीक्षा में / नोमान शौक़" के अवतरणों में अंतर

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प्यार पनपता है मन में <br />
 
अपने आप<br />
 
बिना किसी प्रयत्न के<br />
 
जिस तरह जंगल में उग आते हैं<br />
 
असंख्य छोटे छोटे पौधे<br />
 
  
लेकिन घृणा<br />
 
तैयार की जाती है कृत्रिम विधियों से<br />
 
किसी घिनावनी प्रयोगशाला में<br />       
 
और परोस दी जाती है<br />
 
स्वादिष्ट व्यंजनों की तरह<br />
 
ज़बरदस्ती खाने की मेज़ पर<br />
 
(हो सकता है उबकाई आ जाए<br />
 
आपको मेरी कविता पढ़ते समय)<br />
 
 
लेकिन यक़ीन कीजिए<br />
 
इन्सानों के भुने हुए मांस<br />
 
औरतों के कटे हुए स्तन<br />
 
और बच्चों की टूटी हुई पसलियां<br />
 
बड़े ही चाव से खाते हैं कुछ लोग<br />
 
छुरी-कांटे से<br />
 
चटख़ारे ले लेकर<br />
 
और पूछते हैं<br />
 
कब होगी अगली दावत<br />
 
और कहां !<br />
 

23:51, 14 सितम्बर 2008 का अवतरण