भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
* [[{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार= सुधा गुप्ता }}<poem>'''1-सिसकी,प्यास''' बहुत देर रो-रोकर हलकान हो- होकरसो जाए कोई बच्चा काँधे लगकरतो नींद में जैसे बार-बारउसे सिसकी आती हैऐसेमुझे तेरी याद आती हैबहुत देर रो-रोकरहलकान हो-होकर ।-0-'''2-प्यास'''  एक दिन भी अपनी मर्ज़ी का न जियाएक मैं ही रही प्यासीऔर सबनेभर-भर प्यालाछककर पिया। होगा किसी मुट्ठी में चाँदकिसी में सूरज,मैंने तो साँस-साँसबस ज़िन्दगी का कर्ज़चुकता किया।एक दिन भीअपनी मर्ज़ी का न जिया।-0-'''3-लड़ाई''' शीशे परआती है गौरैयाबार-बारमारती है चोंचएक बार-दस बार-सौ बारहज़ार बार ।ख़ुद पर करती प्रहार-ख़ुद से होती घायल गौरैया अक्सर हमारी सारी ज़िन्दगीखुद से लड़ते , चोट खाते बीतती है।-0- '''4-अँधेरी सुरंग''' कितने दिन हुए तुमसे बिछुड़े कितने हफ़्ते-महीने -बरस ?सोचती हूँपर कुछ याद नहीं आता । एक अँधेरी सुरंग से गुज़र रही हूँजाने कब से !गुज़रूँगीजाने कब तक !! कहीं रोशनी की एऽऽऽक लकीर नहीं !-0-  </ सुधा गुप्ता]]poem>