भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"गाँधी /जलज कुमार अनुपम" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> बहुत...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(कोई अंतर नहीं)

13:54, 7 जून 2020 का अवतरण


बहुत ही मुश्किल रहा होगा
सत्य के साथ खड़ा होना
सत्य ही कहना
फिर
उसी सत्य के लिए लड़ना
अपने विचारों से
लोगों में क्रांति लाना
अपने गलत कर्मों को भी ईमानदारी से स्वीकार करना
और अपनी बात पर अडिग रहना
चाहे अपने
आदर्शों पर चलते हुए
प्रिय स्वजनों को छोड़ना भी
क्योंकि
बहुत ही मुश्किल है
इस कलियुग में सच्चाई का दामन थामे
गाँधी हो जाना ।