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"गाँधी /जलज कुमार अनुपम" के अवतरणों में अंतर
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बहुत ही मुश्किल रहा होगा
सत्य के साथ खड़ा होना
सत्य ही कहना
फिर
उसी सत्य के लिए लड़ना
अपने विचारों से
लोगों में क्रांति लाना
अपने गलत कर्मों को भी ईमानदारी से स्वीकार करना
और अपनी बात पर अडिग रहना
चाहे अपने
आदर्शों पर चलते हुए
प्रिय स्वजनों को छोड़ना भी
क्योंकि
बहुत ही मुश्किल है
इस कलियुग में सच्चाई का दामन थामे
गाँधी हो जाना ।