"कोशिश करने वालों की हार नहीं होती / सोहनलाल द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
|||
(4 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 9 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
− | |||
− | |||
− | |||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
− | |रचनाकार= | + | |रचनाकार=सोहनलाल द्विवेदी |
− | + | }} | |
− | लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती | + | {{KKCatKavita}} |
− | कोशिश करने वालों की | + | {{KKPrasiddhRachna}} |
+ | कई लोग इस रचना को [[हरिवंशराय बच्चन|हरिवंशराय बच्चन जी]] द्वारा रचित मानते हैं। लेकिन श्री अमिताभ बच्चन ने अपनी [https://www.facebook.com/AmitabhBachchan/posts/1153934214640366 एक फ़ेसबुक पोस्ट] में स्पष्ट किया है कि यह रचना [[सोहनलाल द्विवेदी|सोहनलाल द्विवेदी जी]] की है। | ||
+ | <poem> | ||
+ | लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती | ||
+ | कोशिश करने वालों की हार नहीं होती | ||
− | नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है | + | नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है |
− | चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती | + | चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है |
− | मन का विश्वास रगों में साहस भरता है | + | मन का विश्वास रगों में साहस भरता है |
− | चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता | + | चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है |
− | आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती | + | आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती |
− | कोशिश करने वालों की | + | कोशिश करने वालों की हार नहीं होती |
− | डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है | + | डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है |
− | जा | + | जा जाकर खाली हाथ लौटकर आता है |
− | मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में | + | मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में |
− | बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी | + | बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में |
− | मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती | + | मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती |
− | कोशिश करने वालों की | + | कोशिश करने वालों की हार नहीं होती |
− | असफलता एक चुनौती है, | + | असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो |
− | क्या कमी रह गई, देखो और सुधार | + | क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो |
− | जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम | + | जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम |
− | संघर्ष का मैदान छोड़ | + | संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम |
− | कुछ किये बिना ही जय | + | कुछ किये बिना ही जय जयकार नहीं होती |
− | कोशिश करने वालों की | + | कोशिश करने वालों की हार नहीं होती |
+ | </poem> |
02:18, 11 जून 2020 के समय का अवतरण
कई लोग इस रचना को हरिवंशराय बच्चन जी द्वारा रचित मानते हैं। लेकिन श्री अमिताभ बच्चन ने अपनी एक फ़ेसबुक पोस्ट में स्पष्ट किया है कि यह रचना सोहनलाल द्विवेदी जी की है।
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है
जा जाकर खाली हाथ लौटकर आता है
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किये बिना ही जय जयकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती