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"आँसू का दरिया उमड़ा (मुक्तक) / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर
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दुनिया घिरी हुई संकट में, छाया तन-मन पर अँधियारा ।
आँसू का दरिया उमड़ा है, लगता छूटा आज किनारा ।
मैं प्रभु तुझसे इतना माँगूँ, तू जग को केवल सुख देना ।
सारे दुख मुझको देकरके इस जग को देना उजियारा ।