भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जीवन / न्गुएन चाय / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=न्गुएन चाय |अनुवादक=अनिल जनविजय |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 9: पंक्ति 9:
 
सड़क का पत्थर चलने से घिस जाए,
 
सड़क का पत्थर चलने से घिस जाए,
 
वो बांस का वन ख़ूब फूल खिलाए,
 
वो बांस का वन ख़ूब फूल खिलाए,
पहाड़ों में गूँजें जबबन्दरों की चीख़ें,
+
जब पहाड़ पे गूँजें बन्दरों की खी-खी
हमारी खिड़की पर सूरज खिल जाए ।
+
हमारी खिड़की पे सूरज खिल जाए ।
  
 
गहरी छाया ले जब बादल घिर आएँ,
 
गहरी छाया ले जब बादल घिर आएँ,
 
झील का नीला जल तब दिल बहलाए,
 
झील का नीला जल तब दिल बहलाए,
 
श्वेत बगुले और सारस उड़ें ताल पर,
 
श्वेत बगुले और सारस उड़ें ताल पर,
मैं भी उनके साथ उड़ूँ वे मुझे बेहद भाएँ ।
+
उनके साथ उड़ूँ मैं भी, वे मुझे बेहद भाएँ ।
  
 
'''रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
 
'''रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
 
</poem>
 
</poem>

19:12, 15 जून 2020 के समय का अवतरण

सड़क का पत्थर चलने से घिस जाए,
वो बांस का वन ख़ूब फूल खिलाए,
जब पहाड़ पे गूँजें बन्दरों की खी-खी
हमारी खिड़की पे सूरज खिल जाए ।

गहरी छाया ले जब बादल घिर आएँ,
झील का नीला जल तब दिल बहलाए,
श्वेत बगुले और सारस उड़ें ताल पर,
उनके साथ उड़ूँ मैं भी, वे मुझे बेहद भाएँ ।

रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय