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"चिराग हो के न हो दिल जला के रखते हैं / हस्तीमल 'हस्ती'" के अवतरणों में अंतर

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ज़माने भर से हमेशा बना के रखतें हैं
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हमें पसंद नहीं जंग में भी चालाकी
 
हमें पसंद नहीं जंग में भी चालाकी

14:25, 17 जून 2020 के समय का अवतरण

चिराग़ हो के न हो दिल जला के रखते हैं
हम आँधियों में भी तेवर बला के रखते हैं

मिला दिया है पसीना भले ही मिट्टी में
हम अपनी आँख का पानी बचा के रखते हैं

बस एक ख़ुद से ही अपनी नहीं बनी वरना
ज़माने भर से हमेशा बना के रखते हैं

हमें पसंद नहीं जंग में भी चालाकी
जिसे निशाने पे रक्खें बता के रखते हैं

कहीं ख़ूलूस कहीं दोस्ती कहीं पे वफ़ा
बड़े करीने से घर को सजा के रखते हैं