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"ढूँढा है हर जगह पे कहीं पर नहीं मिला / हस्तीमल 'हस्ती'" के अवतरणों में अंतर
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खोकर मिला जो हमको वो पाकर नहीं मिला | खोकर मिला जो हमको वो पाकर नहीं मिला | ||
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− | दीवारो दर ही उसको मिले घर नहीं मिला | + | दीवारो-दर ही उसको मिले घर नहीं मिला |
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मिलना उसे जहाँ था वहाँ पर नहीं मिला | मिलना उसे जहाँ था वहाँ पर नहीं मिला | ||
15:04, 17 जून 2020 के समय का अवतरण
ढ़ूँढ़ा है हर जगह पे कहीं पर नहीं मिला
ग़म से तो गहरा कोई समंदर नहीं मिला
ये तजुर्बा हुआ है मुहब्बत की राह में
खोकर मिला जो हमको वो पाकर नहीं मिला
दहलीज़ अपनी छोड़ दी जिसने भी एक बार
दीवारो-दर ही उसको मिले घर नहीं मिला
दूरी वही है अब भी क़रीबी के बावजूद
मिलना उसे जहाँ था वहाँ पर नहीं मिला
सारी चमक हमारे पसीने की है जनाब
विरसे में हमको कोई भी ज़ेवर नहीं मिला
घर से हमारी आँख-मिचौली रही सदा
आँगन नहीं मिला तो कभी दर नहीं मिला