भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अभिनंदन / विकास पाण्डेय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विकास पाण्डेय |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:29, 17 जून 2020 के समय का अवतरण
अभिनंदन है, अभिनंदन!
हे वीर, तुम्हारा अभिनंदन!
अविजित रक्षक हो सीमा के,
शौर्य-शिखरर, आदर्श हो तुम।
नव नीति-रीति के भारत का
सर्वोत्तम प्रतिदर्श हो तुम।
सच्चे सपूत इस माटी के,
तुम देश के माथे का चंदन।
अभिनंदन है, अभिनंदन
हे वीर, तुम्हारा अभिनंदन!
थे अरि-दल से घिरे हुए, पर
दृढ़ प्रतिज्ञ, तुम झुके नहीं।
लगा दाँव पर जीवन, फिर भी
कदम तुम्हारे रुके नहीं।
सह लिया वार वक्षस्थल पर,
करते ही रहे तुम सिंह-गर्जन।
अभिनंदन है, अभिनंदन!
हे वीर, तुम्हारा अभिनंदन!
अरि के नापाक प्रयासों को
अपने कौशल से विफल किया।
दागा अभेद्य आग्नेयास्त्र,
तुमने दुश्मन को विकल किया।
'आतंकवाद की धरती' पर
सर्वत्र व्याप्त हुआ रूदन।
अभिनंदन है, अभिनंदन!
हे वीर, तुम्हारा अभिनंदन!