भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मत करो अलगाव / ओम नीरव" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 22: | पंक्ति 22: | ||
ज्योति की तुम वर्तिका, हम स्नेह सिंचित स्राव! | ज्योति की तुम वर्तिका, हम स्नेह सिंचित स्राव! | ||
− | + | जाएँगे , ले जाएँगे भारत | |
भँवर के पार, | भँवर के पार, | ||
चाहिए नन्हे पगों को | चाहिए नन्हे पगों को |
10:36, 20 जून 2020 के समय का अवतरण
नायकों! हम बालकों से मत करो अलगाव!
याद हम आगत करेंगे विगत का सद्भाव!
हम शिराओं के रुधिर तुम-
रुधिर के संचार,
प्राण हम-तुम देश के यह-
देश अपना प्यार ।
प्यार से भर दें सर्जन का बूँद-बूँद तलाव!
कुछ तपन से, कुछ जलन से
जगमगाती ज्योति,
फिर वही तम-तोम में पथ-
को दिखाती ज्योति ।
ज्योति की तुम वर्तिका, हम स्नेह सिंचित स्राव!
जाएँगे , ले जाएँगे भारत
भँवर के पार,
चाहिए नन्हे पगों को
कुछ दिशा, कुछ प्यार ।
हम बने पतवार युग की, तुम हमारी नाव!
वक्ष पर हमको सजा लो
हम महकते फूल,
फूल से लगने लगेंगे
पंथ के सब शूल ।
नेह से 'नीरव' भरें हम, मातृ-भू के घाव!
नायकों! हम बालकों से मत करो अलगाव!