भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मिटाती मोह का बंधन कहानी राम की पावन / ओम नीरव" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओम नीरव |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGeetika}} <p...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
|||
पंक्ति 28: | पंक्ति 28: | ||
सिखाती सत्य-अनुशीलन, कहानी राम की पावन। | सिखाती सत्य-अनुशीलन, कहानी राम की पावन। | ||
− | + | ||
आधार छंद-विधाता | आधार छंद-विधाता | ||
मापनी-लगागागा लगागागा-लगागागा लगागागा | मापनी-लगागागा लगागागा-लगागागा लगागागा | ||
</poem> | </poem> |
11:16, 20 जून 2020 के समय का अवतरण
मिटाती मोह का बंधन कहानी राम की पावन,
बना देती मधुर जीवन कहानी राम की पावन।
मनुज जब हो दनुज जाये तो रहकर कोल भीलों में,
मनुजता का करे प्रणयन कहानी राम की पावन।
प्रखर प्रज्ञा पुरुष के सँग विलय करने सजल श्रद्धा,
रचाती दर्प-धनु-भंजन कहानी राम की पावन।
कहीं यदि द्वार पर सुख के चली आए घड़ी दुःख की,
तो करती नम्र अभिवादन कहानी राम की पावन।
लगे कितना भयावह पाप अत्याचार का दानव,
कराती मान का मर्दन कहानी राम की पावन।
अधर सी-सी घुटे कबतक विभीषण भीरु-सा नीरव,
कराती भेद का प्रकटन कहानी राम की पावन।
कभी सुख में, कभी दुःख में, कभी घर में, कभी वन में
सिखाती सत्य-अनुशीलन, कहानी राम की पावन।
आधार छंद-विधाता
मापनी-लगागागा लगागागा-लगागागा लगागागा