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"मैं दीपक हूँ, मेरा जलना ही तो मेरा मुस्काना है / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

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है मुझको मालूम कि अधरों
 
है मुझको मालूम कि अधरों
 
के ऊपर जगती है बाती,
 
के ऊपर जगती है बाती,
:::उजियाला करदेनेवाली
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:::उजियाला कर देने वाली
 
:::मुसकानों से भी परिचित हूँ,
 
:::मुसकानों से भी परिचित हूँ,
 
पर मैंने तम की बाहों में अपना साथी पहचाना है।
 
पर मैंने तम की बाहों में अपना साथी पहचाना है।
 
मैं दीपक हूँ, मेरा जलना ही तो मेरा मुस्काना है|
 
मैं दीपक हूँ, मेरा जलना ही तो मेरा मुस्काना है|
 
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13:04, 22 जून 2020 के समय का अवतरण

मैं दीपक हूँ, मेरा जलना ही तो मेरा मुस्काना है|

आभारी हूँ तुमने आकर
मेरा ताप-भरा तन देखा,
आभारी हूँ तुमने आकर
मेरा आह-घिरा मन देखा,
करुणामय वह शब्द तुम्हारा--
’मुसकाओ’ था कितना प्यारा।
मैं दीपक हूँ, मेरा जलना ही तो मेरा मुस्काना है|

है मुझको मालूम पुतलियों
में दीपों की लौ लहराती,
है मुझको मालूम कि अधरों
के ऊपर जगती है बाती,
उजियाला कर देने वाली
मुसकानों से भी परिचित हूँ,
पर मैंने तम की बाहों में अपना साथी पहचाना है।
मैं दीपक हूँ, मेरा जलना ही तो मेरा मुस्काना है|