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हाथ / केदारनाथ सिंह
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08:51, 8 जुलाई 2020
अपने हाथ में लेते हुए मैंने सोचा
दुनिया को
हाथ की तरह
नर्म
गर्म
और सुंदर होना चाहिए.
</poem>
Arti Singh
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