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Kavita Kosh से
कोई पर्दा नहीं है कुछ नहीं छुपाता हूँ
अनेक शेर मेर मेरे ज़ाया हो गये फिर भी रदीफ़ , क़ाफ़िया , बहरेा बहरो वज़न निभाता हूँ
न मैं कबीर न ग़ालिब न मीर ,मोमिन ही
मिला जो ज़ख़्म ज़माने से वही गाता हूँ
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