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"दुनिया अभी जीने लायक है / विजयशंकर चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर
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मैं सोचता था | मैं सोचता था | ||
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पानी उतना ही साफ पिलाया जाएगा | पानी उतना ही साफ पिलाया जाएगा | ||
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जितना होता है झरनों का | जितना होता है झरनों का | ||
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चिकित्सक बिलकुल ऐसी दवा देंगे | चिकित्सक बिलकुल ऐसी दवा देंगे | ||
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जैसे माँ के दूध में तुलसी का रस | जैसे माँ के दूध में तुलसी का रस | ||
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मैं जहर खाने जाऊँगा | मैं जहर खाने जाऊँगा | ||
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तो रोक लेगा कोई | तो रोक लेगा कोई | ||
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ड्रायवर मंजिल तक पहुँचा देगा | ड्रायवर मंजिल तक पहुँचा देगा | ||
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और मैं मार लूँगा एक नींद | और मैं मार लूँगा एक नींद | ||
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घर पहुँचूँगा तो बाल-बच्चे मिलेंगे सही-सलामत | घर पहुँचूँगा तो बाल-बच्चे मिलेंगे सही-सलामत | ||
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ट्रेन के सामने आ जाने पर | ट्रेन के सामने आ जाने पर | ||
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लगा दिया जाएगा ब्रेक ऐन मौके पर | लगा दिया जाएगा ब्रेक ऐन मौके पर | ||
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और लोग डाँट पिलाएँगे- | और लोग डाँट पिलाएँगे- | ||
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'यह क्या नादानी है, दुनिया अभी जीने लायक है।' | 'यह क्या नादानी है, दुनिया अभी जीने लायक है।' | ||
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22:04, 9 जुलाई 2020 के समय का अवतरण
मैं सोचता था
पानी उतना ही साफ पिलाया जाएगा
जितना होता है झरनों का
चिकित्सक बिलकुल ऐसी दवा देंगे
जैसे माँ के दूध में तुलसी का रस
मैं जहर खाने जाऊँगा
तो रोक लेगा कोई
ड्रायवर मंजिल तक पहुँचा देगा
और मैं मार लूँगा एक नींद
घर पहुँचूँगा तो बाल-बच्चे मिलेंगे सही-सलामत
ट्रेन के सामने आ जाने पर
लगा दिया जाएगा ब्रेक ऐन मौके पर
और लोग डाँट पिलाएँगे-
'यह क्या नादानी है, दुनिया अभी जीने लायक है।'