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"अश्रु मेरे माँगने जब / महादेवी वर्मा" के अवतरणों में अंतर
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− | नींद में वह पास आया! | + | नींद में वह पास आया! |
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− | हो गया दिव की हँसी से | + | हो गया दिव की हँसी से |
− | शून्य में सुरचाप अंकित; | + | शून्य में सुरचाप अंकित; |
− | रश्मि-रोमों में हुआ | + | रश्मि-रोमों में हुआ |
− | निस्पन्द तम भी सिहर पुलकित; | + | निस्पन्द तम भी सिहर पुलकित; |
− | अनुसरण करता अमा का | + | अनुसरण करता अमा का |
− | चाँदनी का हास आया! | + | चाँदनी का हास आया! |
− | वेदना का अग्निकण जब | + | वेदना का अग्निकण जब |
− | मोम से उर में गया बस, | + | मोम से उर में गया बस, |
− | मृत्यु-अंजलि में दिया भर | + | मृत्यु-अंजलि में दिया भर |
− | विश्व ने जीवन-सुधा-रस! | + | विश्व ने जीवन-सुधा-रस! |
− | माँगने पतझार से | + | माँगने पतझार से |
− | हिम-बिन्दु तब मधुमास आया! | + | हिम-बिन्दु तब मधुमास आया! |
− | अमर सुरभित साँस देकर, | + | अमर सुरभित साँस देकर, |
− | मिट गये कोमल कुसुम झर; | + | मिट गये कोमल कुसुम झर; |
− | रविकरों में जल हुए फिर, | + | रविकरों में जल हुए फिर, |
− | जलद में साकार सीकर; | + | जलद में साकार सीकर; |
− | अंक में तब नाश को | + | अंक में तब नाश को |
− | लेने अनन्त विकास आया!< | + | लेने अनन्त विकास आया! |
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22:36, 11 जुलाई 2020 के समय का अवतरण
अश्रु मेरे माँगने जब
नींद में वह पास आया!
अश्रु मेरे माँगने जब
नींद में वह पास आया!
स्वप्न सा हँस पास आया!
हो गया दिव की हँसी से
शून्य में सुरचाप अंकित;
रश्मि-रोमों में हुआ
निस्पन्द तम भी सिहर पुलकित;
अनुसरण करता अमा का
चाँदनी का हास आया!
वेदना का अग्निकण जब
मोम से उर में गया बस,
मृत्यु-अंजलि में दिया भर
विश्व ने जीवन-सुधा-रस!
माँगने पतझार से
हिम-बिन्दु तब मधुमास आया!
अमर सुरभित साँस देकर,
मिट गये कोमल कुसुम झर;
रविकरों में जल हुए फिर,
जलद में साकार सीकर;
अंक में तब नाश को
लेने अनन्त विकास आया!