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"पंकज-कली! / महादेवी वर्मा" के अवतरणों में अंतर
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| − | क्या तिमिर कह जाता करुण? | + | <poem> |
| − | क्या मधुर दे जाती किरण? | + | क्या तिमिर कह जाता करुण? |
| − | किस प्रेममय दुख से हृदय में | + | क्या मधुर दे जाती किरण? |
| − | अश्रु में मिश्री घुली? | + | किस प्रेममय दुख से हृदय में |
| + | अश्रु में मिश्री घुली? | ||
| − | किस मलय-सुरभित अंक रह- | + | किस मलय-सुरभित अंक रह- |
| − | आया विदेशी गन्धवह? | + | आया विदेशी गन्धवह? |
| − | उन्मुक्त उर अस्तित्व खो | + | उन्मुक्त उर अस्तित्व खो |
| − | क्यों तू भुजभर मिली? | + | क्यों तू भुजभर मिली? |
| − | रवि से झुलसते मौन दृग, | + | रवि से झुलसते मौन दृग, |
| − | जल में सिहरते मृदुल पग; | + | जल में सिहरते मृदुल पग; |
| − | किस व्रतव्रती तू तापसी | + | किस व्रतव्रती तू तापसी |
| − | जाती न सुख दुख से छली? | + | जाती न सुख दुख से छली? |
| − | मधु से भरा विधुपात्र है, | + | मधु से भरा विधुपात्र है, |
| − | मद से उनींदी रात है, | + | मद से उनींदी रात है, |
| − | किस विरह में अवनतमुखी | + | किस विरह में अवनतमुखी |
| − | लगती न उजियाली भली? | + | लगती न उजियाली भली? |
| − | यह देख ज्वाला में पुलक, | + | यह देख ज्वाला में पुलक, |
| − | नभ के नयन उठते छलक! | + | नभ के नयन उठते छलक! |
| − | तू अमर होने नभधरा के | + | तू अमर होने नभधरा के |
| − | वेदना-पय से पली! | + | वेदना-पय से पली! |
| − | पंकज-कली! पंकज-कली!< | + | पंकज-कली! पंकज-कली! |
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22:56, 11 जुलाई 2020 के समय का अवतरण
क्या तिमिर कह जाता करुण?
क्या मधुर दे जाती किरण?
किस प्रेममय दुख से हृदय में
अश्रु में मिश्री घुली?
किस मलय-सुरभित अंक रह-
आया विदेशी गन्धवह?
उन्मुक्त उर अस्तित्व खो
क्यों तू भुजभर मिली?
रवि से झुलसते मौन दृग,
जल में सिहरते मृदुल पग;
किस व्रतव्रती तू तापसी
जाती न सुख दुख से छली?
मधु से भरा विधुपात्र है,
मद से उनींदी रात है,
किस विरह में अवनतमुखी
लगती न उजियाली भली?
यह देख ज्वाला में पुलक,
नभ के नयन उठते छलक!
तू अमर होने नभधरा के
वेदना-पय से पली!
पंकज-कली! पंकज-कली!
