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"अश्रु-नीर / महादेवी वर्मा" के अवतरणों में अंतर
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− | प्रिय इन नयनों का अश्रु-नीर ! | + | <poem> |
− | दुख से आविल सुख से पंकिल | + | प्रिय इन नयनों का अश्रु-नीर ! |
− | बुद्बुद से स्वप्नों से फेनिल, | + | दुख से आविल सुख से पंकिल |
− | बहता है युग युग से अधीर | + | बुद्बुद से स्वप्नों से फेनिल, |
− | जीवन-पथ का दुर्गमतम तल, | + | बहता है युग युग से अधीर |
− | अपनी गति से कर सजल सरल, | + | जीवन-पथ का दुर्गमतम तल, |
− | शीतल करता युग तृषित तीर ! | + | अपनी गति से कर सजल सरल, |
− | इसमें उपजा यह नीरज सित, | + | शीतल करता युग तृषित तीर ! |
− | कोमल-कोमल लज्जित मीलित; | + | इसमें उपजा यह नीरज सित, |
− | सौरभ-सी लेकर मधुर पीर ! | + | कोमल-कोमल लज्जित मीलित; |
+ | सौरभ-सी लेकर मधुर पीर ! | ||
− | इसमें न पंक का चिह्न शेष, | + | इसमें न पंक का चिह्न शेष, |
− | इसमें न ठहरता सलिल-लेश, | + | इसमें न ठहरता सलिल-लेश, |
− | इसको न जगाती मधुप-भीर ! | + | इसको न जगाती मधुप-भीर ! |
− | तेरे करुणा-कण से विलसित, | + | तेरे करुणा-कण से विलसित, |
− | हो तेरी चितवन से विकसित, | + | हो तेरी चितवन से विकसित, |
− | छू तेरी श्वासों का समीर ! < | + | छू तेरी श्वासों का समीर ! |
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18:24, 13 जुलाई 2020 के समय का अवतरण
प्रिय इन नयनों का अश्रु-नीर !
दुख से आविल सुख से पंकिल
बुद्बुद से स्वप्नों से फेनिल,
बहता है युग युग से अधीर
जीवन-पथ का दुर्गमतम तल,
अपनी गति से कर सजल सरल,
शीतल करता युग तृषित तीर !
इसमें उपजा यह नीरज सित,
कोमल-कोमल लज्जित मीलित;
सौरभ-सी लेकर मधुर पीर !
इसमें न पंक का चिह्न शेष,
इसमें न ठहरता सलिल-लेश,
इसको न जगाती मधुप-भीर !
तेरे करुणा-कण से विलसित,
हो तेरी चितवन से विकसित,
छू तेरी श्वासों का समीर !