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"मन / शमशेर बहादुर सिंह" के अवतरणों में अंतर
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− | मोह मीन | + | मोह मीन गगन लोक में |
− | + | बिछल रही | |
− | लोप हो कभी | + | लोप हो कभी अलोप हो कभी |
− | + | छल रही। | |
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− | + | जाने किन किरणों को चूमता, | |
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भाव-नीर में अलोप हो | भाव-नीर में अलोप हो | ||
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23:37, 23 जुलाई 2020 के समय का अवतरण
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मोह मीन गगन लोक में
बिछल रही
लोप हो कभी अलोप हो कभी
छल रही।
मन विमुग्ध
नीलिमामयी परिक्रमा लिये,
पृथ्वी-सा घूमता
घूमता
(दिव्यधूम तप्त वह)
जाने किन किरणों को चूमता,
झूमता-
जाने किन...
मुग्ध लोल व्योम में
मौन वृत्त भाव में रमा
मन,
मोह के गगन विलोकता
भाव-नीर में अलोप हो
कभी
लोप हो,
जाने क्या लोकता
मन!