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"जगत-घट, तुझको दूँ यदि फोड़ / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

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जगत-घट, तुझको दूँ यदि फोड़
 
जगत-घट, तुझको दूँ यदि फोड़
 
 
प्रलय हो जाएगा तत्‍काल,
 
प्रलय हो जाएगा तत्‍काल,
 
 
मगर सुमदिर, सुंदरि, सु‍कुमारि,
 
मगर सुमदिर, सुंदरि, सु‍कुमारि,
 
 
तुम्‍हारा आता मुझको ख्‍याल;
 
तुम्‍हारा आता मुझको ख्‍याल;
  
 
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न तुम होती, तो मानो ठीक,
:::न तुम होती, तो मानो ठीक,
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मिटा देता मैं अपनी प्‍यास,
 
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वासना है मेरी विकराल,
:::मिटा देता मैं अपनी प्‍यास,
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अधिक पर, अपने पर विश्‍वास!
 
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:::वासना है मेरी विकराल,
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:::अधिक पर, अपने पर विश्‍वास!
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19:49, 25 जुलाई 2020 के समय का अवतरण

जगत-घट, तुझको दूँ यदि फोड़
प्रलय हो जाएगा तत्‍काल,
मगर सुमदिर, सुंदरि, सु‍कुमारि,
तुम्‍हारा आता मुझको ख्‍याल;

न तुम होती, तो मानो ठीक,
मिटा देता मैं अपनी प्‍यास,
वासना है मेरी विकराल,
अधिक पर, अपने पर विश्‍वास!