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"जगत है चक्की एक विराट / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
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19:57, 25 जुलाई 2020 के समय का अवतरण
जगत है चक्की एक विराट
पाट दो जिसके दीर्घाकार-
गगन जिसका ऊपर फैलाव
अवनि जिसका नीचे विस्तार;
नहीं इसमें पड़ने का खेद,
मुझे तो यह करता हैरान,
कि घिसता है यह यंत्र महान
कि पिसता है यह लघु इंसान!