"नई झनकार / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
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छू गया है कौन मन के तार, | छू गया है कौन मन के तार, | ||
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वीणा बोलती है! | वीणा बोलती है! | ||
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मौन तम के पार से यह कौन | मौन तम के पार से यह कौन | ||
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तेरे पास आया, | तेरे पास आया, | ||
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मौत में सोए हुए संसार | मौत में सोए हुए संसार | ||
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को किसने जगाया, | को किसने जगाया, | ||
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कर गया है कौन फिर भिनसार, | कर गया है कौन फिर भिनसार, | ||
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वीणा बोलती है; | वीणा बोलती है; | ||
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छू गया है कौन मन के तार, | छू गया है कौन मन के तार, | ||
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वीणा बोलती है! | वीणा बोलती है! | ||
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रश्मियों ने रंग पहन ली आज | रश्मियों ने रंग पहन ली आज | ||
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किसने लाल सारी, | किसने लाल सारी, | ||
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फूल-कलियों से प्रकृति की माँग | फूल-कलियों से प्रकृति की माँग | ||
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है किसकी सँवारी, | है किसकी सँवारी, | ||
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कर रहा है कौन फिर श्रृंगार, | कर रहा है कौन फिर श्रृंगार, | ||
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वीणा बोलती है; | वीणा बोलती है; | ||
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छू गया है कौन मन के तार, | छू गया है कौन मन के तार, | ||
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वीणा बोलती है! | वीणा बोलती है! | ||
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लोक के भय ने भले ही रात | लोक के भय ने भले ही रात | ||
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का हो भय मिटाया, | का हो भय मिटाया, | ||
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किस लगन में रात दिन का भेद | किस लगन में रात दिन का भेद | ||
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ही मन से हटाया, | ही मन से हटाया, | ||
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कौन करता है खुले अभिसार, | कौन करता है खुले अभिसार, | ||
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वीणा बोलती है; | वीणा बोलती है; | ||
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छू गया है कौन मन के तार, | छू गया है कौन मन के तार, | ||
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वीणा बोलती है! | वीणा बोलती है! | ||
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तू जिसे लेने चला था भूल- | तू जिसे लेने चला था भूल- | ||
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कर अस्तित्व अपना, | कर अस्तित्व अपना, | ||
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तू जिसे लेने चला था बेच- | तू जिसे लेने चला था बेच- | ||
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कर अपनत्व अपना, | कर अपनत्व अपना, | ||
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दे गया है कौन वह उपहार | दे गया है कौन वह उपहार | ||
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वीणा बोलती है; | वीणा बोलती है; | ||
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छू गया है कौन मन के तार, | छू गया है कौन मन के तार, | ||
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वीणा बोलती है! | वीणा बोलती है! | ||
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जो करुण विनती मधुर मनुहार | जो करुण विनती मधुर मनुहार | ||
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से न कभी पिघलते, | से न कभी पिघलते, | ||
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टूटते कर, फूट जाते शीश | टूटते कर, फूट जाते शीश | ||
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तिल भर भी न हिलते, | तिल भर भी न हिलते, | ||
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खुल कभी जाते स्वयं वे द्वार, | खुल कभी जाते स्वयं वे द्वार, | ||
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वीणा बोलती है; | वीणा बोलती है; | ||
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छू गया है कौन मन के तार, | छू गया है कौन मन के तार, | ||
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वीणा बोलती है! | वीणा बोलती है! | ||
− | + | भूल तू जा अब पुराना गीत | |
− | भूल तू जा | + | |
− | + | ||
औ' गाथा पुरानी, | औ' गाथा पुरानी, | ||
− | + | भूल जा तू अब दुखों का राग | |
− | भूल तू अब दुखों का राग | + | |
− | + | ||
दुर्दिन की कहानी, | दुर्दिन की कहानी, | ||
− | |||
ले नया जीवन, नई झनकार, | ले नया जीवन, नई झनकार, | ||
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वीणा बोलती है; | वीणा बोलती है; | ||
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छू गया है कौन मन के तार, | छू गया है कौन मन के तार, | ||
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वीणा बोलती है! | वीणा बोलती है! | ||
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21:37, 25 जुलाई 2020 के समय का अवतरण
छू गया है कौन मन के तार,
वीणा बोलती है!
मौन तम के पार से यह कौन
तेरे पास आया,
मौत में सोए हुए संसार
को किसने जगाया,
कर गया है कौन फिर भिनसार,
वीणा बोलती है;
छू गया है कौन मन के तार,
वीणा बोलती है!
रश्मियों ने रंग पहन ली आज
किसने लाल सारी,
फूल-कलियों से प्रकृति की माँग
है किसकी सँवारी,
कर रहा है कौन फिर श्रृंगार,
वीणा बोलती है;
छू गया है कौन मन के तार,
वीणा बोलती है!
लोक के भय ने भले ही रात
का हो भय मिटाया,
किस लगन में रात दिन का भेद
ही मन से हटाया,
कौन करता है खुले अभिसार,
वीणा बोलती है;
छू गया है कौन मन के तार,
वीणा बोलती है!
तू जिसे लेने चला था भूल-
कर अस्तित्व अपना,
तू जिसे लेने चला था बेच-
कर अपनत्व अपना,
दे गया है कौन वह उपहार
वीणा बोलती है;
छू गया है कौन मन के तार,
वीणा बोलती है!
जो करुण विनती मधुर मनुहार
से न कभी पिघलते,
टूटते कर, फूट जाते शीश
तिल भर भी न हिलते,
खुल कभी जाते स्वयं वे द्वार,
वीणा बोलती है;
छू गया है कौन मन के तार,
वीणा बोलती है!
भूल तू जा अब पुराना गीत
औ' गाथा पुरानी,
भूल जा तू अब दुखों का राग
दुर्दिन की कहानी,
ले नया जीवन, नई झनकार,
वीणा बोलती है;
छू गया है कौन मन के तार,
वीणा बोलती है!