"तुमको मेरे प्रिय प्राण निमंत्रण देते / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
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तुमको मेरे प्रिय प्राण निमंत्रण देते। | तुमको मेरे प्रिय प्राण निमंत्रण देते। | ||
− | + | अतस्तल के भाव बदलते | |
− | + | कंठस्थल के स्वर में, | |
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लो, मेरी वाणी उठती है | लो, मेरी वाणी उठती है | ||
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धरती से अंबर में | धरती से अंबर में | ||
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अर्थ और आखर के बल का | अर्थ और आखर के बल का | ||
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कुछ मैं भी अधिकारी, | कुछ मैं भी अधिकारी, | ||
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तुमको मेरे मधुगान निमंत्रण देते; | तुमको मेरे मधुगान निमंत्रण देते; | ||
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तुमको मेरे प्रिय प्राण निमंत्रण देते। | तुमको मेरे प्रिय प्राण निमंत्रण देते। | ||
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अब मुझको मालूम हुई है | अब मुझको मालूम हुई है | ||
− | + | शब्दों की भी सीमा, | |
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गीत हुआ जाता है मेरे | गीत हुआ जाता है मेरे | ||
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रुद्ध गले में धीमा, | रुद्ध गले में धीमा, | ||
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आज उदार दृगों ने रख ली | आज उदार दृगों ने रख ली | ||
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लाज हृदय की जाती, | लाज हृदय की जाती, | ||
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तुमको नयनों के दान निमंत्रण दान देते; | तुमको नयनों के दान निमंत्रण दान देते; | ||
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तुमको मेरे प्रिय प्राण निमंत्रण देते। | तुमको मेरे प्रिय प्राण निमंत्रण देते। | ||
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आँख सुने तो आँख भरे दिल | आँख सुने तो आँख भरे दिल | ||
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के सौ भेद बताए, | के सौ भेद बताए, | ||
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दूर बसे प्रियतम को आँसू | दूर बसे प्रियतम को आँसू | ||
− | + | क्या संदेश सुनाए, | |
− | + | भिगा सकोगी इनसे अपने | |
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मन का कोई कोना? | मन का कोई कोना? | ||
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तुमको मेरे अरमान निमंत्रण देते; | तुमको मेरे अरमान निमंत्रण देते; | ||
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तुमको मेरे प्रिय प्राण निमंत्रण देते। | तुमको मेरे प्रिय प्राण निमंत्रण देते। | ||
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कविओं की सूची से अब से | कविओं की सूची से अब से | ||
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मेरा नाम हटा दो, | मेरा नाम हटा दो, | ||
− | + | मेरी कृतियों के पृष्टों को | |
− | मेरी कृतियों के | + | |
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मरुथल में बिखरा दो, | मरुथल में बिखरा दो, | ||
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मौन बिछी है पथ में मेरी | मौन बिछी है पथ में मेरी | ||
− | + | सत्ता, बस तुम आओ, | |
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तुमको कवि के बलिदान निमंत्रण देते; | तुमको कवि के बलिदान निमंत्रण देते; | ||
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तुमको मेरे प्रिय प्राण निमंत्रण देते। | तुमको मेरे प्रिय प्राण निमंत्रण देते। | ||
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22:08, 26 जुलाई 2020 के समय का अवतरण
तुमको मेरे प्रिय प्राण निमंत्रण देते।
अतस्तल के भाव बदलते
कंठस्थल के स्वर में,
लो, मेरी वाणी उठती है
धरती से अंबर में
अर्थ और आखर के बल का
कुछ मैं भी अधिकारी,
तुमको मेरे मधुगान निमंत्रण देते;
तुमको मेरे प्रिय प्राण निमंत्रण देते।
अब मुझको मालूम हुई है
शब्दों की भी सीमा,
गीत हुआ जाता है मेरे
रुद्ध गले में धीमा,
आज उदार दृगों ने रख ली
लाज हृदय की जाती,
तुमको नयनों के दान निमंत्रण दान देते;
तुमको मेरे प्रिय प्राण निमंत्रण देते।
आँख सुने तो आँख भरे दिल
के सौ भेद बताए,
दूर बसे प्रियतम को आँसू
क्या संदेश सुनाए,
भिगा सकोगी इनसे अपने
मन का कोई कोना?
तुमको मेरे अरमान निमंत्रण देते;
तुमको मेरे प्रिय प्राण निमंत्रण देते।
कविओं की सूची से अब से
मेरा नाम हटा दो,
मेरी कृतियों के पृष्टों को
मरुथल में बिखरा दो,
मौन बिछी है पथ में मेरी
सत्ता, बस तुम आओ,
तुमको कवि के बलिदान निमंत्रण देते;
तुमको मेरे प्रिय प्राण निमंत्रण देते।