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"ईश्वर / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
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| |रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन | |रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन | ||
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| उनके पास घर-बार है, | उनके पास घर-बार है, | ||
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| सुखी परिवार है, | सुखी परिवार है, | ||
| घर में सुविधाएँ हैं, | घर में सुविधाएँ हैं, | ||
| − | बाहर  | + | बाहर सत्कार है, | 
| − | + | उन्हें ईश्वर की इसलिए दरकार है | |
| कि प्रकट करने को | कि प्रकट करने को | ||
| उसे फूल चढ़ाएँ, डाली दें । | उसे फूल चढ़ाएँ, डाली दें । | ||
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| न रोज़गार है, | न रोज़गार है, | ||
| ज़रूर, बड़ा परिवार है; भीतर तनाव है, | ज़रूर, बड़ा परिवार है; भीतर तनाव है, | ||
| − | + | उन्हें ईश्वर की इसलिए दरकार है कि | |
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| किसी को तो गाली दें । | किसी को तो गाली दें । | ||
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| इसी से उनके यहाँ दिमाग़ी कसरत है। | इसी से उनके यहाँ दिमाग़ी कसरत है। | ||
| − | + | ईश्वर है-नहीं है, | |
| पर बहस है, | पर बहस है, | ||
| नतीज़ा न निकला है, | नतीज़ा न निकला है, | ||
| न निकालने की मंशा है, | न निकालने की मंशा है, | ||
| − | कम  | + | कम क्या बतरस है! | 
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22:23, 28 जुलाई 2020 के समय का अवतरण
उनके पास घर-बार है,
कार है, कारबार है,,
सुखी परिवार है,
घर में सुविधाएँ हैं,
बाहर सत्कार है,
उन्हें ईश्वर की इसलिए दरकार है
कि प्रकट करने को
उसे फूल चढ़ाएँ, डाली दें ।
उनके पास न मकान है
न सरोसामान है,
न रोज़गार है,
ज़रूर, बड़ा परिवार है; भीतर तनाव है,
उन्हें ईश्वर की इसलिए दरकार है कि
किसी पर तो अपना विष उगलें,
किसी को तो गाली दें ।
उनके पास छोटा मकान है,
थोड़ा सामान है,
मामूली रोज़गार है,
मझोला परिवार है,
थोड़ा काम, थोड़ा फुरसत है,
इसी से उनके यहाँ दिमाग़ी कसरत है।
ईश्वर है-नहीं है,
पर बहस है,
नतीज़ा न निकला है,
न निकालने की मंशा है,
कम क्या बतरस है!
 
	
	

