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"आस फले / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर

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जीवन है बगिया
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माली -से भाए हो।'''
 
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00:07, 31 जुलाई 2020 का अवतरण

1
इक बार चले आओ
तुमसे लिपटूँगी
अब आस फले आओ
(11-2-19)
2
खुशबू बनकर रहना
मन के आँगन में
वासंती -सा बहना।
3
जब से तुम आए हो
जीवन है बगिया
माली -से भाए हो।