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"हम निहारेंगे जिसको , उधर जाएगी / जहीर कुरैशी" के अवतरणों में अंतर

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हम निहारेंगे जिसको , उधर जाएगी
 
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हमसे पहले, हमारी  नज़र जाएगी
 
हमसे पहले, हमारी  नज़र जाएगी

21:03, 20 सितम्बर 2008 का अवतरण

हम निहारेंगे जिसको , उधर जाएगी
हमसे पहले, हमारी नज़र जाएगी

फूल गमले की हद में खिलेंगे मगर
हर तरफ़ गंध उनकी बिखर जाएगी

रूप को क्या पता था कि उस भूल से
जिंदगी यूँ विवादों से भर जाएगी

जिस जगह तक समाचार जाते नहीं
उस जगह तक हमारी खबर जाएगी!

झील की शांति में गिर पड़ी कंकरी
दूर तक, द्वंद्व बन कर लहर जाएगी

क्रोध करने से वो काम होते नहीं
एक मुस्कान जो काम कर जाएगी

जगमगाएगी दीपावली की तरह
जो अमावस उजाले को ‘वर’ जाएगी.