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तुम्हारे बिना टूटकर / अंकित काव्यांश
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02:14, 3 अगस्त 2020
<poem>
जी रहा हूँ तुम्हारे बिना टूटकर,
क्या मिला है
तुम्हे
तुम्हें
इस तरह रूठकर।
जब अहं के शिखर से उतरना न था,
Abhishek Amber
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