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"लो विदा दे दी तुम्हे / अंकित काव्यांश" के अवतरणों में अंतर

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लो विदा दे दी तुम्हे इस जन्म में,
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लो विदा दे दी तुम्हें इस जन्म में,
 
किन्तु अगले जन्म का वादा करो
 
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तोड़कर बन्धन सभी सँग सँग रहोगी।
 
तोड़कर बन्धन सभी सँग सँग रहोगी।
  
 
सुमन अर्पण, आचमन या मन्त्र में
 
सुमन अर्पण, आचमन या मन्त्र में
है सभी में मन मगर खुलकर नही।
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अब न रखना व्रत मुझे मत माँगना
 
अब न रखना व्रत मुझे मत माँगना
यत्न कोई भाग्य से बढ़कर नही।
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छोड़ दो करनी प्रतीक्षा द्वार पर
 
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मान्यताएँ हैं जमाने की कठिन
 
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किन्तु अपना प्यार है सच्चा सरल।
 
किन्तु अपना प्यार है सच्चा सरल।
परिजनों की बात रखनी है तुम्हे
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परिजनों की बात रखनी है तुम्हें
 
इसलिए मैं हारता हूँ "आज, कल"।
 
इसलिए मैं हारता हूँ "आज, कल"।
  

07:47, 3 अगस्त 2020 के समय का अवतरण

लो विदा दे दी तुम्हें इस जन्म में,
किन्तु अगले जन्म का वादा करो
तोड़कर बन्धन सभी सँग सँग रहोगी।

सुमन अर्पण, आचमन या मन्त्र में
है सभी में मन मगर खुलकर नहीं।
अब न रखना व्रत मुझे मत माँगना
यत्न कोई भाग्य से बढ़कर नहीं।

छोड़ दो करनी प्रतीक्षा द्वार पर
देहरी का दीप आँगन में धरो
और कब तक लांछनों को यूँ सहोगी।

मान्यताएँ हैं जमाने की कठिन
किन्तु अपना प्यार है सच्चा सरल।
परिजनों की बात रखनी है तुम्हें
इसलिए मैं हारता हूँ "आज, कल"।

मान लोगी बात सबकी ठीक पर
सात जन्मों के लिए होंगे वचन
सोंचता हूँ हाय तब तुम क्या कहोगी।