भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सुमन की मन-व्यथा क्या है / अंकित काव्यांश" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अंकित काव्यांश |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
|||
पंक्ति 10: | पंक्ति 10: | ||
ओ बगीचे! | ओ बगीचे! | ||
पूछ कर लिख भेजना मुझको कभी तुम | पूछ कर लिख भेजना मुझको कभी तुम | ||
− | + | कंटकों वाले सुमन की मन-व्यथा क्या है? | |
बिम्ब आभासी | बिम्ब आभासी |
10:11, 3 अगस्त 2020 के समय का अवतरण
ओ बगीचे!
पूछ कर लिख भेजना मुझको कभी तुम
कंटकों वाले सुमन की मन-व्यथा क्या है?
बिम्ब आभासी
दिखाना चाहता हर एक दर्पण।
एक स्वर
मतभिन्नता का एक करता है समर्पण।
युद्ध का
आरम्भ हो या आरती का हो समापन
शंख की ध्वनि में निमन्त्रण की प्रथा क्या है?
हर कहानी में
नियति का जाल कुछ ऐसा बुना है।
जो महामानव
हुआ उसने सदा दुःख ही चुना है।
एक टूटन
जोड़ती भी है असंभव सा लगे पर
रामेश्वरम के सेतु की पावन कथा क्या है?