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"छिड़ गये साज़े-इश्क़ के गाने / फ़िराक़ गोरखपुरी" के अवतरणों में अंतर
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खुल गये ज़िन्दगी के मयख़ाने | खुल गये ज़िन्दगी के मयख़ाने | ||
− | आज तो | + | आज तो कुफ़्र-ए-इश्क़ चौंक उठा |
आज तो बोल उठे हैं दीवाने | आज तो बोल उठे हैं दीवाने | ||
− | कुछ गराँ< | + | कुछ गराँ<ref>भारी</ref> हो चला है बारे-नशात |
− | आज दुखते हैं | + | आज दुखते हैं हुस्न के शाने<ref>कन्धे</ref> |
बाद मुद्दत के तेरे हिज्र में फिर | बाद मुद्दत के तेरे हिज्र में फिर | ||
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तू भी आमादा-ए-सफ़र हो 'फ़िराक़' | तू भी आमादा-ए-सफ़र हो 'फ़िराक़' | ||
काफ़िले उस तरफ़ लगे जाने | काफ़िले उस तरफ़ लगे जाने | ||
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11:16, 11 अगस्त 2020 का अवतरण
छिड़ गये साज़े-इश्क़ के गाने
खुल गये ज़िन्दगी के मयख़ाने
आज तो कुफ़्र-ए-इश्क़ चौंक उठा
आज तो बोल उठे हैं दीवाने
कुछ गराँ<ref>भारी</ref> हो चला है बारे-नशात
आज दुखते हैं हुस्न के शाने<ref>कन्धे</ref>
बाद मुद्दत के तेरे हिज्र में फिर
आज बैठा हूँ दिल को समझाने
हासिले-हुस्नो-इश्क़ बस है यही
आदमी आदमी को पहचाने
तू भी आमादा-ए-सफ़र हो 'फ़िराक़'
काफ़िले उस तरफ़ लगे जाने