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"मुहब्बत करने वालों में ये झगड़ा डाल देती है/ मुनव्वर राना" के अवतरणों में अंतर
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तवायफ़ की तरह अपने ग़लत कामों के चेहरे पर | तवायफ़ की तरह अपने ग़लत कामों के चेहरे पर | ||
− | हकूमत | + | हकूमत मन्दिरो-मस्जिद का पर्दा डाल देती है |
− | हकूमत | + | हकूमत मुँह-भराई के हुनर से ख़ूब वाक़िफ़ है |
ये हर कुत्ते आगे शाही टुकड़ा डाल देती है | ये हर कुत्ते आगे शाही टुकड़ा डाल देती है | ||
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किसी की चाह पैरों में दुपट्टा डाल देती है | किसी की चाह पैरों में दुपट्टा डाल देती है | ||
− | ये चिड़िया भी मेरी बेटी से कितनी | + | ये चिड़िया भी मेरी बेटी से कितनी मिलती-जुलती है |
− | कहीं भी | + | कहीं भी शाख़े-गुल देखे तो झूला डाल देती है |
− | भटकती है हवस | + | भटकती है हवस दिन-रात सोने की दुकानों में |
ग़रीबी कान छिदवाती है तिनका डाल देती है | ग़रीबी कान छिदवाती है तिनका डाल देती है | ||
22:34, 22 सितम्बर 2008 का अवतरण
महब्बत करने वालों में ये झगड़ा डाल देती है
सियासत दोस्ती की जड़ में मट्ठा डाल देती है
तवायफ़ की तरह अपने ग़लत कामों के चेहरे पर
हकूमत मन्दिरो-मस्जिद का पर्दा डाल देती है
हकूमत मुँह-भराई के हुनर से ख़ूब वाक़िफ़ है
ये हर कुत्ते आगे शाही टुकड़ा डाल देती है
कहाँ की हिजरतें कैसा सफ़र कैसा जुदा होना
किसी की चाह पैरों में दुपट्टा डाल देती है
ये चिड़िया भी मेरी बेटी से कितनी मिलती-जुलती है
कहीं भी शाख़े-गुल देखे तो झूला डाल देती है
भटकती है हवस दिन-रात सोने की दुकानों में
ग़रीबी कान छिदवाती है तिनका डाल देती है
हसद की आग में जलती है सारी रात वह औरत
मगर सौतन के आगे अपना जूठा डाल देती है