भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आदमी है आदमीयत से जुदा / रमेश तन्हा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश तन्हा |अनुवादक= |संग्रह=तीसर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:35, 13 अगस्त 2020 के समय का अवतरण

साँचा:KKCatTraile

आदमी है आदमीयत से जुदा
ज़िन्दगी का ये भी इक अंदाज़ है

कितनी महँगी हो गई जिन्से-वफ़ा
आदमी है आदमीयत से जुदा
कारोबारे-ज़ीस्त गुड़ गोबर हुआ

ज़िन्दगी को फिर भी इस पर नाज़ है

आदमी है आदमीयत से जुदा
ज़िन्दगी का ये भी इक अंदाज़ है।