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"ऐन मुझ सा है मगर मुझसे अलग है कितना / रमेश तन्हा" के अवतरणों में अंतर
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ऐन मुझ सा है मगर मुझसे अलग है कितना
साथ रहता है मिरे क्यों, मिरा साया क्या है
अपना हम-ज़ाद कहूँ, या कहूँ कोई फ़ित्ना
ऐन मुझ सा है मगर मुझ से अलग है कितना
ये न होता भी तो कुछ फर्क न पड़ता इतना
सिर्फ होने के लिए है तो ये होना क्या है
ग़म की पहनाई में क्या है चंद लम्हों की खुशी
आसमां के राज़ में मत आस बादल पर लगा।