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"धूप के दश्त में भी ऐसा मैं तन्हा तो न था / रमेश तन्हा" के अवतरणों में अंतर
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धूप के दश्त में भी ऐसा मैं तन्हा तो न था
छांव ने छीन लिया है मिरा आया मुझसे
किसी आसेब का पहरा था जो टलता तो न था
धूप के दश्त में भी ऐसा मैं तन्हा तो न था
अपनी पहचान से रिश्ता मिरा टूटा तो न था
अब तलब करता है शीशा मिरा चेहरा मुझ से
धूप के दश्त में भी ऐसा मैं तन्हा तो न था
छांव ने छीन लिया है मिरा आया मुझसे ।