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"के भन्नु दाजै / सुमन पोखरेल" के अवतरणों में अंतर
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08:22, 15 अगस्त 2020 के समय का अवतरण
के भन्नु दाजै सधैँ नै दु:खी म भरियाको कथा
पिठ्यूँभरि जुगौँको भारी छातीभरि व्यथा
साहुको भारी बोकेर हिँडछु अक्करमा रातदिन
जीवनभर उठ्न नदिने गरी थाप्लामा साहुकै रिन
छैन केही सम्पत्ति अरू यही ढाकार छ जेथा
के भन्नु दाजै सधैँ नै दु:खी म भरियाको कथा
के थाह कहिले तोक्मा चिप्ली लडिने हो भीरबाट
भारीले सँगै झार्ने पो हो कि चिप्लेर शीरबाट
झरेर ढुङ्गा हिँड्दा हिँड्दै किच्ने हो कि के था'
के भन्नु दाजै सधैँ नै दु:खी म भरियाको कथा