भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"स्वतंत्रता बनी रहे / उर्मिलेश" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उर्मिलेश |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGeet}}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
}}
 
}}
 
{{KKCatGeet}}
 
{{KKCatGeet}}
 +
{{KKVID|v=ohUF_X6W1Kg}}
 
<poem>
 
<poem>
 
न और कोई कामना  
 
न और कोई कामना  

21:53, 19 अगस्त 2020 के समय का अवतरण

यदि इस वीडियो के साथ कोई समस्या है तो
कृपया kavitakosh AT gmail.com पर सूचना दें

न और कोई कामना
यही है सिर्फ़ याचना
पवित्र मातृभूमि की महानता बनी रहे
स्वतंत्रता बनी रहे ,स्वतंत्रता बनी रहे

शहीद वीर बाँकुरों की आन है स्वतंत्रता
समस्त देश प्रेमियों की शान है स्वतंत्रता
वतन हमारा जिस्म है तो जान है स्वतंत्रता
हवा है ,रौशनी है,आसमान है स्वतंत्रता
यही तृषा-विभेदिनी
यही हमारी मेदिनी
इसी में पंच तत्व की विशेषता बनी रहे!

स्वतंत्रता का अर्थ है कि हम स्वतंत्र स्वर बनें
जहाँ हो मौन दासता वहाँ सदा मुखर बनें
स्वतंत्रता के तीर्थ की सदैव हम डगर बने
सजीव स्वाभिमान से जियें सदा निडर बनें
यही हमारा लक्ष्य हो
स्वतंत्र हर मनुष्य हो
परन्तु हर मनुष्य में मनुष्यता बनी रहे!

उठें कि हम जो सो रहे हैं अब उन्हें झिंझोड़ दें
नवीन क्रान्ति दें,स्वदेश को नवीन मोड़ दें
समस्त भ्रष्ट -दुष्ट मालियों का साथ छोड़ दें
स्वदेश के चरित्र को पवित्रता से जोड़ दें
न छोड़ें मानवीयता
न भूलें भारतीयता
विवेक से अनेकता में एकता बनी रहे!