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"होली में हुड़दंगी / प्रभुदयाल श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
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बंदर बोला, मिस्टर हाथी,
क्यों लंगड़ाते आप।
नहीं दिया उत्तर प्रणाम का,
भाग रहे चुपचाप।
हाथी रोकर बोला, सिंह ने,
ख़ूब पिलादी भांग।
होली में हुड़दंगी की तो,
टूट गई है टाँग।