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"दो भीगे शब्द / अनामिका अनु" के अवतरणों में अंतर
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तुम्हारा स्पर्श | तुम्हारा स्पर्श | ||
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मेरी पीड़ाएँ | मेरी पीड़ाएँ | ||
तुम्हारे स्पर्श में घुलकर | तुम्हारे स्पर्श में घुलकर | ||
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मैं मीठा महसूस करती हूँ । | मैं मीठा महसूस करती हूँ । | ||
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15:34, 22 अगस्त 2020 के समय का अवतरण
तुम क्या
दे देते हो
जो कोई नहीं दे पाता
दो भीगे शब्द
जो मेरे सबसे शुष्क प्रश्नों का
उत्तर होते हैं ।
तुम मुझसे ले लेते हो
तन्हा लम्हें
और मैं महसूस करती हूँ
एक गुनगुनाती भीड़
ख़ुद के ख़ूब भीतर ।
मेरी पीड़ाओं पर
तुम्हारा स्पर्श
एक नई रासायनिक प्रतिक्रिया का
हेतु बनता है,
मेरी पीड़ाएँ
तुम्हारे स्पर्श में घुलकर
शहद हो जाती हैं,
मैं मीठा महसूस करती हूँ ।