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"बार-बार कहता था मैं / मंगलेश डबराल" के अवतरणों में अंतर
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ज़ोरों से नहीं बल्कि | ज़ोरों से नहीं बल्कि |
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ज़ोरों से नहीं बल्कि
बार-बार कहता था मैं अपनी बात
उसकी पूरी दुर्बलता के साथ
किसी उम्मीद में बतलाता था निराशाएँ
विश्वास व्यक्त करता था बग़ैर आत्मविश्वास
लिखता और काटता जाता था यह वाक्य
कि चीज़ें अपने सबसे बुरे दौर से गुज़र रही हैं
बिखरे काग़ज़ संभालता था
धूल पॊंछता था
उलटता-पलटता था कुछ क्रियाओं को
मसलन ऎसा हुआ होता रहा
होना चाहिए था हो सकता था
होता तो क्या होता
(1994 में रचित)