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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=रामधारी सिंह "दिनकर"]][[Category:कविताएँ]]|अनुवादक=[[Category:|संग्रह=समर निंद्य है / रामधारी सिंह "दिनकर"]]}}{{KKCatKavita}}<poem>न्याय शान्ति का प्रथम न्यास हैजब तक न्याय न आता,जैसा भी हो महल शान्ति कासुदृढ़ नहीं रह पाता।