भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कैसे कैसे क्या से क्या होते गए / अंबर खरबंदा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अंबर खरबंदा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:23, 5 सितम्बर 2020 के समय का अवतरण
कैसे कैसे क्या से क्या होते गए
इब्तिदा थे इन्तिहा होते गए
ग़म मिले इसका भी बेहद ग़म रहा
और फिर ग़म ही दवा होते गए
हम नहीं समझे के क्या है ज़िन्दगी
आप जीने की अदा होते गए