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"सच कहूँ तेरे बिना / शार्दुला नोगजा" के अवतरणों में अंतर

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<poem> सच कहूँ तेरे बिना ठंडे तवे सी ज़िंदगानी
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सच कहूँ तेरे बिना ठंडे तवे सी ज़िंदगानी
 
और मन भूखा सा बच्चा एक रोटी ढूँढता है
 
और मन भूखा सा बच्चा एक रोटी ढूँढता है
 
चाँद आधा, आधे नंबर पा के रोती एक बच्ची
 
चाँद आधा, आधे नंबर पा के रोती एक बच्ची
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आस जैसे सीढ़ियों पे बैठ जाए थक पुजारिन
 
आस जैसे सीढ़ियों पे बैठ जाए थक पुजारिन
और मंदिर में रहें ज्यों देव का श्रृंगार बासी
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और मंदिर में रहे ज्यों देव का श्रृंगार बासी
 
बिजलियाँ बन कर गिरें दुस्वप्न उस ही शाख पे बस
 
बिजलियाँ बन कर गिरें दुस्वप्न उस ही शाख पे बस
 
घोंसला जिस पे बना बैठी हो मेरी पीर प्यासी !
 
घोंसला जिस पे बना बैठी हो मेरी पीर प्यासी !
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सच कहूँ तेरे बिना !
 
सच कहूँ तेरे बिना !
 
 
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00:03, 7 सितम्बर 2020 के समय का अवतरण

 
सच कहूँ तेरे बिना ठंडे तवे सी ज़िंदगानी
और मन भूखा सा बच्चा एक रोटी ढूँढता है
चाँद आधा, आधे नंबर पा के रोती एक बच्ची
और सूरज अनमने टीचर सा खुल के ऊंघता है !

आस जैसे सीढ़ियों पे बैठ जाए थक पुजारिन
और मंदिर में रहे ज्यों देव का श्रृंगार बासी
बिजलियाँ बन कर गिरें दुस्वप्न उस ही शाख पे बस
घोंसला जिस पे बना बैठी हो मेरी पीर प्यासी !

सच कहूँ तेरे बिना !

पूछती संभावना की बुढ़िया आपत योजनायें
कह गया था तीन दिन की, तीन युग अब बीतते हैं
नाम और तेरा पता जिस पर लिखा खोया वो पुर्जा
कोष मन के और तन के हाय छिन छिन रीतते हैं !

सच कहूँ तेरे बिना मेरी नहीं कोई कहानी
गीत मेरे जैसे ऊंचे जा लगे हों आम कोई
तोड़ते हैं जिनको बच्चे पत्थरों की चोट दे कर
और फिर देना ना चाहे उनका सच्चा दाम कोई !

सच कहूँ तेरे बिना !