भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सूरज हो अगर सब को उजाला बांटो / रमेश तन्हा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश तन्हा |अनुवादक= |संग्रह=तीसर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
10:39, 7 सितम्बर 2020 के समय का अवतरण
सूरज हो अगर सब को उजाला बांटो
हो चांद अगर तो शीतलता बांटो
शब जलना हो चुपचाप तो तारा बन जाओ
इंसां हो तो जीने का सलीक़ा बांटो।