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"हंगामा ज़िन्दगी का है हर जानिब / रमेश तन्हा" के अवतरणों में अंतर
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हंगामा ज़िन्दगी का है हर जानिब
इक खेल सा रौशनी का है हर जानिब
फिर भी मानी कहां खुले दुनिया के
बिखराव सा नारसी का है हर जानिब।