भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कुछ सोच के कहने का मैं आदी भी नहीं / रमेश तन्हा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश तन्हा |अनुवादक= |संग्रह=तीसर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
10:51, 7 सितम्बर 2020 के समय का अवतरण
कुछ सोच के कहने का मैं आदी भी नहीं
दुनिया कि मिरी सोच से चलती भी नहीं
दुनिया से मेरा रिश्ता है क्या क्या मालूम
मैं हूँ कि किसी और का सानी भी नहीं।