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"कुछ लोग महब्बत से बिख़र जाते हैं / रमेश तन्हा" के अवतरणों में अंतर

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कुछ लोग महब्बत से बिख़र जाते हैं
बे-नाम से खदशात से डर जाते हैं
औहाम-परस्तों की है दुनिया ही अलग
वे लोग तो साहिल पे भी मर जाते हैं।