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ऐ मुर्गे-तखैयुल परे-परवाज़ हिला।
आफाक को सर कर ले जो वो जस्त लगा
तू ही तो है महवर मिरी उम्मीदों का
मेरे लिए आईना-ए-आलम बन जा।