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"सर-सब्ज़ जज़ीरा हूँ मैं अपने पन का / रमेश तन्हा" के अवतरणों में अंतर
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सर-सब्ज़ जज़ीरा हूँ मैं अपने पन का
आफाक पे हूँ मुहीन हो कर मन का
उलझन हूँ अपने हर किये की मैं ही
मैं ही हल भी हूँ अपनी हर उलझन का।