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"अभिनन्दन / शार्दुला नोगजा" के अवतरणों में अंतर

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है समर्पित फूल हर, खिलता हुआ जन में,विजन में
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थाल पूजा का सजा, धो कर रखी सब भावनायें
 
थाल पूजा का सजा, धो कर रखी सब भावनायें
नववधू की हिचिचाहट, शिशु देखती माँ की ललक भी,
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नववधू की हिचकिचाहट, शिशु देखती माँ की ललक भी,
 
संस्कारों में रंगी हल्दी, सुपारी  और मेंहदी,
 
संस्कारों में रंगी हल्दी, सुपारी  और मेंहदी,
 
ज्ञान के कुछ श्वेत चावल, प्रीति का अरुणिम तिलक भी।
 
ज्ञान के कुछ श्वेत चावल, प्रीति का अरुणिम तिलक भी।
  
और दीपक आस के, विश्वास के मन में जला कर
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और दीपक आस के, विश्वास के मन में जला कर
 
आज स्वागत कर रही हूँ  द्वार पर जा कर उषा के,
 
आज स्वागत कर रही हूँ  द्वार पर जा कर उषा के,
 
मधुरिमा मधु-मिलन मंगल, मांगलिक मानस में मेरे
 
मधुरिमा मधु-मिलन मंगल, मांगलिक मानस में मेरे

14:13, 7 सितम्बर 2020 के समय का अवतरण

स्थूल में और सूक्ष्म में सौन्दर्य जो, उनको समर्पित
व्यक्त और अव्यक्त में सिमटी हुई सारी ऋचायें,
है समर्पित फूल हर, खिलता हुआ जन में,विजन में
और हर रंग के अधर, पा कर खुशी जो मुस्कुरायें।

थाल पूजा का सजा, धो कर रखी सब भावनायें
नववधू की हिचकिचाहट, शिशु देखती माँ की ललक भी,
संस्कारों में रंगी हल्दी, सुपारी और मेंहदी,
ज्ञान के कुछ श्वेत चावल, प्रीति का अरुणिम तिलक भी।

और दीपक आस के, विश्वास के मन में जला कर
आज स्वागत कर रही हूँ द्वार पर जा कर उषा के,
मधुरिमा मधु-मिलन मंगल, मांगलिक मानस में मेरे
देखो, अंबर झुक गया पदचाप सुन शंकर-उमा के!

अभिनन्दन उनको दिवस का!
मिलन हो सुख और सुयश का!