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{{KKRachna
|रचनाकार=शार्दुला नोगजा
|अनुवादक=
|संग्रह=
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{{KKCatKavita}}<poem>तू पीठ सीधी रख ओ लड़की
बस आज ये सिंगार कर ले,
स्टील, लोहा, सोना, चांदी
लौटेगा अनुत्तरित समझ ले
ना रामशलाकाप्रश्नावली ये जीवन
तू जी इसे, उत्तरत उत्तरित कर ले!
तू पीठ सीधी रख ओ लड़की!
१० नवम्बर ०८
 
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